नमस्कार किसान भाइयों आज इस पोस्ट में हम Lehsun ki kheti लहसुन की खेती कैसे करें, लहसुन की वैज्ञानिक तरीके से खेती कैसे करी जाती है, लहसुन की फसल में कितनी इनकम होती है।
Table of Contents
लहसुन की खेत की पूरी जानकारी Lehsun Ki Kheti Ki Jaankari
Lehsun ki kheti लहसुन की खेती कैसे करे ?
लहसुन की खेती सितंबर, अक्टूबर में बुआई करी जाती है। और लहसुन की अधिक उपज के लिए डेढ़ से दो क्विंटल स्वस्थ कलियां प्रति एकड़ लगती हैं।
Lehsun ki kheti लहसून की खेती के लिए मौसम और जलवायु?
लहसून की खेती कई प्रकार की जलवायु मैं होती है लहसून की खेती ना तो अधिक गर्म ना तो अधिक ठंडे मौसम मै। नहीं होती है
खेत की तैयारी कैसे करे?
जिस खेत मै लहसून लगना हो उस खेत की मिट्टी उपजाऊ होनी चाहीए खेत में दो या तीन बार गहरी जुताई करें। रोटावेटर या पाटा लगाकर खेत को समतल कर क्यारियां और सिचांई की नालियां बना लें।बुआई या तो लेबर या सीडड्रिल से लहसुन की कुली खेत मे उचित दूरी पर लगाई जाती है पोधो से पोधों की १० सेंमी ओर 5 सेंमी रखना चाहिए
लहसुन में कौन से खाद उर्वरक का उपयोग करे?
Lehsun लहसुन की फ़सल को अन्य फसलों की तुलना में कई प्रकार के खाद उर्वरकों की आवश्यकता होती है। जैसे गोबर की पक्की हुई खाद 20 से 25 टन यदि गोबर की खाद ना हो तो 5से 8 टन वर्मी कम्पोस्ट का उपयोग करे
नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश, जिंक, सल्फर,
और भी कई सारे सूक्ष्म पोषक तत्वों की जरूरत होती है इन सब मे सबसे ज़्यादा आवश्यकता नाइट्रोजन को होती है । नाइट्रोजन की पूर्ति हेतु किसान यूरिया का 3 से 4 बार छिड़काव करता है।
100 किलो नाइट्रोजन 50 किलोग्राम फास्फोरस 50 किलोग्राम पोटाश ओर प्रति हेक्टर 25 किलो जिंक सल्फेट
देना चहिए यूरिया की। 175 किलो आवश्यकता होती है जिन्हे 3 भागो में देना होता है। पहला बुआई के समय बाकी दूसरा 25 से 30 दिनों में निदाई गुड़ाई के समय बाकी की मात्रा 40 से 50 दिन के बाद जब गहरी नीदाई गुड़ाई करे तब छिड़काव करे। यूरिया को छोड़कर बाकी सब खाद उर्वरक खेत की तैयारी करे तब देना चाहिए
लहसून की खेती में सिंचाई?
इसकी खेती में 12 से 13 बार सिंचाई कि आवश्यकता होती है ड्रिप ओर स्प्रिलर से सिंचाई से उत्पादन बड़ता है।
लहसून की खेती में खरपतवार नियंत्रण कैसे करे ?
इसकी खेती में खरपतवार निकालते रहना चाहिए। लहसुन के फसल (खेत) से हमेशा निंदाई-गुड़ाई कर के खरपतवार से मुक्त रखना चाहिए।
लहसून की खेती में प्रमुख कीट एवं रोग की रोकथाम कैसे करे ?
Lehsun ki kheti लहसुन में कई प्रकार के किट रोग लगना शुरू हो जैसे कि
थिप्स
लहसुन की फसल में थिप्स अकेला इतना हानिकारक किट होता है कि उसे अगर कंट्रोल ना किया जाये तो वो पैदावार में 50% तक गिरा देता है। इसके रोकथाम के लिये किसान भाई इमिडा क्लोरोप्रिड या डाइमिथोएट एसिफेट का उपयोग करते है।
जिस से कीटो का विकास रुक जाता है। और फसल पर कीटो से नुकसान कम हो जाता है।
ब्लैक मोल्ड
यह रोग जब फसल पकने लगती है तब दिखाई देता है। कुलियों ओर गाँठो के बीच मे काले पाऊडर की तरहा दिखाई देता है। जिस से लहसुन की बाज़ार में कीमत कम मिलती है। और लहसुन का भंडारण ज्यादा समय तक नही कर सकते है इसे रोकने के लिए खेत में ज्यादा पानी जमा नहीं होने देना चाहिए
झुलसा व अंगमारी
इस रोग में पत्तियों पर सफेद धब्बे पड़ने लगते है. इसके बाद पत्तियों का रंग बैगनी होने लगता है. रोग बढ़ने पर पत्तियां झुलस जाती हैं. जिससे लहसुन के पौधे मर जाते है. जिसका फसल की पैदावार पर असर पड़ता है.
फफूंदी
इसमें पत्तियों की सतह पर एवं डंठल पर बैगनी रंग के रोयें उभर आते हैं। इसके रोकथाम के लिए 3 ग्राम जिनेव या इन्डोफिल एम-45 का 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर 15 दिन के अन्तराल पर दो छिड़काव करें।
लहसुन की कुछ उन्नत किस्में
यमुना सफेद (जी-1)
इस किस्म को भी देशभर में उगाया जाता है, और इसके भण्डारण की क्षमता काफी अच्छी मानी जाती है. यह किस्म 150 से 190 दिन में तैयार हो जाति है प्रति हेक्टयर 150 से 175 क्विंटल पैदावार मिल जाती है.
भीमा पर्पल
लहसुन की यह उन्नत किस्म से लगभग 130 से 140दिन में फसल तैयार कर देती है. इससे प्रति हेक्टेयर 60 से 65 क्विंटल तक पैदावार मिल जाती है
भीमा ओंकार
इस किस्म के कंद मध्यम आकार के पाए जाते हैं, जो कि काफी ठोस और सफेद रंग के होते हैं. इससे लगभग 120 से 135 दिन में फसल तैयार हो जाती है. यह प्रति हेक्टेयर 80 से 135 क्विंटल तक पैदावार दे देती है. इस किस्म में थ्रिप्स कीट को सहन करने की क्षमता होती है
गोदावरी (सेलेक्सन- 2)
यह हल्के गुलाबी और सफेद रंग के दिखाई देती हैं. यह बुवाई के लगभग 140 से 145 दिन बाद फसल तैयार होती हैं. इससे प्रति हेक्टर 100 से 105 क्विंटल पैदावार मिल जाती है
एग्रीफाउंड पार्वती जी (313)
यह किस्म हल्की सफेद ओर बैंगनी रंग की होती है यह बुवाई के लगभग 170 से 185 दिन बाद फसल तैयार हो जाती है यह प्रति हेक्टेयर 190 से 210 क्विंटल हो जाती है
ऊटी लहसुन
तमिलनाडु के प्रसिद्ध क्षेत्र ऊटी की लहसून भी किसानों के बीच काफ़ी लोकप्रिय है। इसका गिला बीज़ मंगवा कर किसान भाई लगाते है। इसका बीज काफी महंगा होता है। 100किलो बीज की क़ीमत18 हजार से 27 हजार तक चली जाती है। यह क़िस्म किसान भाई जल्दी लगाते है, और इसकी गाठ सामान्य लहसून से थोड़ी बड़ी होति है। इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए वीडियो देखे।
लहसून की खेती में खुदाई, एवं ऊपज भण्डारण कैसे करे ?
लहसुन की फसल 130 से 210दिन में खोदाई के लिये तैयार हो जाती है। जिस समय पौधों की पत्तियाँ पीली पढ़ जाये और सुखने लग जाये सिंचाई बन्द कर देनी चाहिए। इसके कुछ दिनों बाद लहसुन की खुदाई कर लेनी चाहिए। इसके बाद गाँठों को 3-4 दिनों तक छाया में सुखा लेते हैं।अच्छी तरह सुख जाने के बाद गांठों को 70 प्रतिशत आद्रता पर 6 से 8 महीनों तक भण्डारित किया जा सकता है। 6 से 8 महीनों के भण्डारण में 15 से 20 प्रतिशत तक नुकसान सुखने से होता है
लहसुन की ऊपज किस्मों एवं फसल की देखरेख पर निर्भर करता है। इसकी औसत ऊपज 100 से 200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है।
दोस्तों इस पोस्ट में मैने कोशिस करी है कि, मैं लहसुन की खेती से जुडी सभी जानकारी आप तक शयेर कर सकूं। अगर इसके अलावा और कोई जानकारी छूट गयी है तो, कृपया कमेंट में जरूर लिखें और आपके सवाल भी सादर आमंत्रिक है, जरूर पूछें।
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