नमस्कार किसान भाइयों! आज इस पोस्ट में हम जानेंगे कि, Alsi ki kheti अलसी की खेती कैसे करें?
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Alsi ki kheti अलसी की खेती कैसे करे पूरी जानकारी
अलसी की खेती तिलहन फसलों के रूप में की जाती है। इसके बीज में तेल की मात्रा ज्यादा पाई जाती है। इसकी खली का उपयोग पशुओं को खिलाने के रूप में किया जाता है, तथा खली में विभिन्न पौध पौषक तत्वों की उचित मात्रा होने के कारण, इसका उपयोग खाद के रूप में किया जाता है। अलसी क्षेत्रफल की दृष्टि से, भारत का विश्व में द्वतीय स्थान है। उत्पादन में तीसरा तथा उपज प्रति हेक्टेयर में आठवाँ स्थान रखता है| अलसी के प्रमुख उत्पादक राज्य है।
मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, राजस्थान व उड़ीसा हे,
अलसी की खेती किस महीने में की जाती है ?
इसकी खेती का सही समय अक्टूबर और नवम्बर माह है।
अलसी की खेती के लिए मौसम और जलवायू कैसे होना चाहिये?
Alsi ki kheti अलसी की खेती को ठंडे व शुष्क जलवायु की आवश्यकता पड़ती है| अतः अलसी भारत वर्ष में अधिकतर रबी मौसम में, जहां वार्षिक वर्षा 50 से 55 सेटीमीटर होती है| वहां इसकी खेती सफलता पूर्वक की जा सकती है| अलसी के उचित अंकुरण हतेु 25 से 30 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान तथा बीज बनते समय तापमान 15 से 20 डिग्री सेंटीग्रेट होना चाहिए| कम नमी तथा शुष्क वातावरण की आवश्यकता होती है।
अलसी के खेत की तैयारी कैसे करे?
इसका अच्छा अंकुरण प्राप्त करने के लिये, खेत भुरभुरा एवं खरपतवार रहित होना चाहिये । अतः खेत को 1-2 बार जुताई करना आवश्यक है| जिससे नमी संरक्षित रह सके । अलसी का दाना छोटा एवं पतला होता है, अच्छे अंकुरण हेतु खेत का भुरभुरा होना आवश्यक है
अलसी की खेती में कितने बीज और खाद उर्वरक की आवश्यकता होती है ?
इसके बीज की बुवाई 20 से 25 किग्रा. प्रति हैक्टेयर के हिसाब से करनी चाहिए। बीज को भूमि में 2 से 3 सेंमी की गहराई पर बोना चाहिए। अलसी की फसल के बेहतर उत्पादन हेतु अच्छी तरह से पकी हुई गोबर की खाद 4-5 टन/ प्रति हेक्टेयर में अन्तिम जुताई के समय खेत में अच्छी तरह से मिला देना चाहिये अच्छी उपज प्राप्ति हेतु असिंचित भूमि में नाइट्रोजन 50 किग्रा। फास्फोरस, 40 किग्रा। एवं 40 किग्रा । पोटाश की दर से खेत की तैयारी के समय देना चाहिये |
सिचाईं वाले क्षेत्र में 100 किलोग्राम नत्रजन 60 किलोग्राम फास्फोरस एवं 40 किग्रा। पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से खाद उर्वरक का प्रयोग करें।
अलसी की खेती में सिंचाई कब और किस समय पर करे?
यह फसल असिंचित ज़मीन में बोई जाती है, परन्तु जहाँ सिंचाई का साधन उपलब्ध है वहाँ दो सिंचाई पहली फूल आने पर तथा दूसरी दाना बनते समय करने से उपज में बढ़ोत्तरी होती है
अलसी की प्रमुख क़िस्में कौनसी है और उत्पादन कितना होता है।
1 संचित क्षेत्र
- प्रताप अलसी 2 (सिंचित) 20-22 क्विंटल प्रति हैक्टर, पकने कि अवधि 28 से 135 दिन होती हैं
- जवाहर अलसी – 23 (सिंचित)15-18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, पकने की अवधि 120-125 दिन होती है,
- सुयोग (जे.एल.एस. – 27) (सिंचित)15-20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर,पकने की अवधि 115-120 दिन होती है|
2 असंचित क्षेत्र
- जे.एल.एस. – 66 (असिंचित)12-13 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, पकने की अवधि 114 दिन होती है
- जवाहर अलसी – 9 (असिंचित) 11-13 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, पकने की अवधि 115-120 दिन होती है,
- इंदिरा अलसी -32(असिंचित) 10-12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, पकने की अवधि 100-105 दिन होती है|
अलसी प्रमुख रोग एवम किट और उनका उपचार
1 फली मक्खी (बड फ्लाई)
यह आकार में छोटी तथा नारंगी रंग की होती है। जिनके पंख पारदर्शी होते हैं। इसकी इल्ली ही फसलों को हांनि पहुँचाती है। बर्ड फ्लाई नियंत्रण के लियें ईमिडाक्लोप्रिड 17एस.एल. 100 मिली./प्रती हेक्टयर की दर से 500-600 ली. पानी में घोलकर छिड़काव करें।
2 बालदार सुंडी
अलसी में सुडीयां प्रारम्भ में झुण्ड में रह कर पत्तियों को खाती है जो अलसी को नुकसान पहुंचाती है बालदार सूडी के नियंत्रण के लिए मैलाथियान 5 प्रतिशत डी.पी. की 20-25 किग्रा. प्रति हेक्टेयर कि दर से छिड़काव करे
3 गालमिज
यह कीट अलसी में फसल की खिलती कलियों के अन्दर से को पोधो को खाकर नुकसान पहुँचाता है ।गालमिज के नियंत्रण हेतु आँक्सीडेमेटान-मिथाइल 25 प्रतिशत ई.सी. की 1.00 लीटर अथवा मोनोक्रोटोफास 36 प्रतिशत एस.एल. की 600-750 लीटर पानी में घोलकर प्रति हे. छिडकाव करना चाहिए |
4 गेरुआ (रस्ट)
अलसी में यह रोग फफूंद से होता है। रोग का प्रकोप प्रारंभ होने पर चमकदार, नारंगी रंग के स्फोट पत्तियों के दोनों ओर बनते हैं।
5 भभूतिया रोग
इस रोग के संक्रमण से पत्तियों पर सफेद चूर्ण सा जम जाता है।
रोग अधिक होने पर दाने सुकड़ जाते है और छोटे रह जाते हैँ ।
6 उकठा (विल्ट)
यह अलसी का प्रमुख हांनिकारक मृदा जनित रोग है।
इस रोग का प्रकोप अंकुरण से लेकर, पकने तक कभी भी हो सकता है।
रोग ग्रस्त पौधों की पत्तियों के किनारे, अन्दर की ओर मुड़कर मुरझा जाते हैं।
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अलसी के कम उत्पादकता के क्या कारण है ?
- कम उपजाऊ भूमि पर खेती करना.
- असिंचित भूमि में या वर्षा आधारित स्थिति में खेती करना.
- बेहतर तरीके से खेती नहीं करना और देखभाल न करना
- उच्च उत्पादन देने वाली किस्मों की जानकारी न होना और अप्रमाणित स्थानीय क़िस्मों का उपयोग करना
- असंतुलित और कम मात्रा में उर्वरको उपयोग।
अलसी की खेती में खरपतवार को कैसे रोके ?
Alsi ki fasal में खरपतवारों जमाव न हो सके। क्योंकि इसमे रबी की फसल के समय के सभी खरपतवार उगते है।
आवश्यकतानुसार उर्वरक एव निराई गुड़ाई करते रहें।
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फसल पूर्ण तैयार होने पर कटाई करे।
अलसी की फसल की कटाई, जब फसल पूर्ण रूप से सूखकर पाक जाए, तभी कटाई करनी चाहिए।
कटाई के तुरंत बाद मड़ाई कर लेनी चाहिए, जिससे की बीजों का नुकसान न हो।
Alsi ki kheti अलसी में कितना उत्पादन प्राप्त होता है?
अलसी की उपज सामान्तया 20-25 किवंटल प्रति हेक्टयर हों जाति है।
दोस्तों, इस पोस्ट में मैने कोशिस करी है कि, मैं अलसी की खेती से जुडी सभी जानकारी आप तक शयेर कर सकूं। अगर इसके अलावा और कोई जानकारी छूट गयी है तो, कृपया कमेंट में जरूर लिखें और आपके सवाल भी सादर आमंत्रिक है, जरूर पूछें।
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