नमस्कार दोस्तों,
आज हम जानेंगे कि (gaye bhesh ke bachdo ki dekhbhal kaise kare) गाये भैंस के बछड़ों की देखभाल कैसे करें ?
जैसा की हम सब जानते हैं कि खेती के साथ साथ पशुपालन का कार्य किसानों के लिए काफी लाफदायक होता है और दोनों ही एक दूसरे के पूरक व्यवसाय भी है और यदि किसान सही तरीके से पशुपालन करे तो कम लागत मे अधिक मुनाफा कमा सकते हैं।
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गाय भैस के बछड़े और बछड़ीयो की देखभाल कैसे करे? Gaye Bhesh Ke Bachdo Ki Dekhbhal Kaise Kare
यदि हम पशुपालन को व्यावसायिक रूप मे करें तो हमें जन्म से ही पशुओं को तैयार करना पड़ेगा ताकि वो आगे जाकर अच्छी नस्ल के और अच्छे दुधारू पशु बने। इसके लिए हमें उनका संतुलित आहार और उचित रखरखाव पर विशेष ध्यान देना होगा। इस बारे मे बताने से पहले मैं आपको बताना चाहूंगा कि बहुत सी बार देखा गया है कि पशुपालक बछड़े बछड़ियों को बहुत ही कम मात्रा मे पौष्टिक आहार देते हैं।
हरा चारा और दाना भी देते हैं और उन्हें एक ही स्थान पर बंधा रहने देते हैं। उन्हें अन्य पशुओं का बचा हुआ चारा ही डाल देते हैं। उन्हें हमेशा बांधकर रखते हैं जिससे उनका शारीरिक विकास भी रुक जाता है। ऐसी कई छोटी छोटी गलतियां अक्सर देखने को मिलती हैं जिससे आगे जाकर बछड़े एक अच्छा पशु नहीं बन पाता है।
बछड़े और बछड़ीयो को संतुलित आहार कैसे दें?
जन्म से 3 माह तक का आहार
बच्चे के जन्म के तुरंत एक घंटे के अंदर उसे 1-2 gram खींच आहार के रूप मे देना चाहिए।
खींच क्या है?
खींच प्रसव के के बाद प्राप्त होने वाला पीले गाढ़ा रंग का पदार्थ है।
जिसमे दूध की तुलना में अधिक प्रोटीन or विटामिन रहता है। बछड़े को फिर एक घंटे के अंतराल मे 1 ग्राम खींच और देना चाहिए।
जन्म के 24 घंटे बाद लगातार तीन दिन तक दिन मे 2 बार यही आहार देते रहना चाहिए। आहार की मात्रा बच्चे के शरीर के वजन का 10% की दर से देनी चाहिए।
नवजात बच्चे को 60 दिन तक उबला हुआ दूध जिसका तापमान शरीर के तापमान के बराबर हो रोज पिलाना चाहिए।
दूध पिलाने की दर
- शुरुआत के तीन हफ्ते तक बच्चे के शरीर के वजन का 10% तक
- उसके अगले दो हफ्ते तक 15% तक पिलाना है।
- उसके बाद उसे 20% की दर से 3 महीने तक 10 किलो तक दूध आवश्यक रूप से पिला देना चाहिए।
यदि आपने सही तरीके से ध्यान दिया है और किसी भी तरह की बीमारी न हुई हो तो जन्म के समय बच्चे का वजन ३ महीने तक बदल जाता है।
इसके बाद आप बच्चे को गेहूं का चोकर, सरसों की खली, मूंगफली की खली, साधारण नमक और उचित खनिज लवण मिलाकर खिलाना चाहिए। साथ मे हरा चारा भी पर्याप्त मात्रा मे दें। इस दौरान बच्चे को एंटी बैटिक जीवाणु नाशक दूध के साथ देना चाहिए और गर्मियों मे वक़्त वक़्त पर दिन मे 3 बार पानी भी पिलाना चाहिए और उनके रहने वाली जगह का तापमान पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए।
इसके बाद आप बच्चे को गेहूं का चोकर, सरसों की खली, मूंगफली की खली, साधारण नमक और उचित खनिज लवण मिलाकर खिलाना चाहिए। साथ मे हरा चारा भी पर्याप्त मात्रा मे दें। इस दौरान बच्चे को एंटी बैटिक जीवाणु नाशक दूध के साथ देना चाहिए और गर्मियों मे वक़्त वक़्त पर दिन मे 3 बार पानी भी पिलाना चाहिए और उनके रहने वाली जगह का तापमान पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए।
3 महीने के बाद का खान पान
3 महीने के बाद लगातार बच्चे के शरीर मे वृद्धि के लिए उन्हें पौष्टिक आहार देना जरुरी है। उन्हें उचित मात्रा मे दाना और हरा चारा देना चाहिए और खली मे उन्हें मूंगफली, सरसों आदि देना चाहि। साथ मे सुकले मे हरा चारा या दाना मिलाकर भी देना चाहिए और हरे चारे मे बाजरा, ज्वार आदि का चारा भी खिलायें।
अन्य ध्यान देने योग्य बातें
- पशु को सुबह या शाम के समय 30 से 40 मिनट तक टहलाना और चराना, उनके लिए उपयुक्त रहता है।
- पशु को बांधने वाली रस्सी ज्यादा कड़क नहीं होनी चाहिए, नहीं तो उनको घाव हो जाता है।
- एक पशु का बचा हुआ चारा दूसरे पशु को न डालें।
- पशु को तनाव मुक्त रखें।
- पशुशाला की सफाई पर भी ध्यान दें।
और पशु पर निगरानी रखें। यदि किसी तरह की अलग हलचल दिखे तो तुरंत डॉक्टर्स को बताएं। समय समय पर आवशयक टीके भी लगवायें।
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