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Sabjiyan Lagane Ki Technique – सब्ज़ियाँ उगाने का आधुनिक तरीका
1 ट्रे कल्टीवेशन (tray cultivation)
2 प्लास्टिक लो टनल ( plastic low tunnel)
1 ट्रे कल्टीवेशन Tray Cultivation :-
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tray cultivation |
Tray Cultivation – इस प्रक्रिया में कई नई तकनीकों का आविष्कार हुआ है। इस तकनीक के उपयोग का मुख्य कारण है भूमि जनित रोगों से मुक्ति और पानी की बचत एवं पोधों का संरक्षण करना है। सबसे पहले हम जानते है ट्रे कल्टीवेशन क्या है? जैसा की इसके नाम से ही स्पष्ट है। यानि की ट्रे में खेती करना।
इस तकनीक में प्लास्टिक की खानेदार ट्रे का उपयोग किया जाता है। खाने इसे होने चाहिए जिसमे पोधों की जड़ का बेहतर विकास हो सके।और कम मिटटी और पानी के अधिक से अधिक सब्जियां उगाई जा सके। ट्रे में सबसे पहले ग्रीन नेट और जुट बिछा कर वर्निकम्पोस खाद् डाला जाता है।
फिर सही तरीके से उपचारित किये गये बिजो को उँगली या किल से उस खाद् में गड्डा कर के बीज को बोया जाता है।प्रत्येक खाने में एक एक बीज बोया जाता है।आप इसमे कोकोपिट,वर्मीकुलाइट,परलाइट को आय तन के आधार पर 3:1:1 में मिलाकर भी बना सकते हे। बीजो में अंकुरण के लिए पर्याप्त नमी आवश्यक होनी चाहिए बीज अंकुरित होने के लिए 20 से 25 डिग्री तापमान अच्छा होता है।
आप ट्रे के ऊपर मच्छर दानी की तरह नेट भी लगा दे ताकि पोधों को किट पतंग से सुरक्षा हो सके। अंकुरण के एक सप्ताह के बाद पौधे के लिए आवश्यक तत्व जैसे नाइट्रोजन,फास्फोरस,पोटाश को उचित अनुपात में 20:20:20 में घोल बना कर ट्रे में पानी के साथ दे। इस तकनीक से पौधे 25 से 30 में खेत में रोपने के लायक हो जाते है।
रोपण के समय सावधानियां:-
- पोधों को ट्रे के खाने से सावधानी पूर्वक निकले जड़ न टूटने दे।
- गर्मी के दिनों में रोपाई से पहले कीटनाशक का छिड़काव करना लाभदायक रहता है।
- रोपाई सुबह या शाम को करे।
- रोपाई के बाद तुरंत सिंचाई करे खेत में पानी भरा न रहे।
- सिंचाई हल्की करे ताकि पौधे पानी के बहाव से निकले नही।
Tray Cultivation तकनीक से फायदा:-
- कम पानी और कम मिटटी के नर्सरी तैयार हो जाती है।
- भूमि जनित रोगों से छुटकारा
- रोग मुक्त पौधे तैयार हो जाते है।
- आसानी से एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है।
- बे मौसम सब्जी को लगाया जा सकता है।
- कम जगह में अधिक पोधों का रोप तैयार किया जा सकता है।
- पौधे एक समान चाल से बढ़ते है।
- इस विधि से बेल वाली सब्जियों की नर्सरी तैयार आसानी से कर सकते है।
दोस्तों ये तो हुई ट्रे कल्टीवेशन की बात अब हम जानेंगे प्लास्टिक लो टनल के बारे में ।
2 प्लास्टिक लो टनल Plastic Low Tunnel:-
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प्लास्टिक लौ टनल |
प्लास्टिक लो टनल एक इसी तकनीक है जिसमे पौधे के रोपण के बाद कम ऊचा पर प्लास्टिक की चादर से ढका जाता है।ये तकनीक कम तापमान में पोधों की सुरक्षा के लिए उपयोग की जाती है जैसे पाले से फसल का नुक्सान आदि। इस तकनीक के जरिये पोधों को प्लास्टिक ट्रे में तैयार किया जाता है जैसा की ऊपर बताया गया है।
इस तकनीक का उपयोग करने के लिए सबसे पहले खेत में उठी हुई क्यारिया उतर से दक्षिण दिशा में बनाई जाती है। फिर उसमे ड्रिप पाइप को बिछा या जाता है। फिर लोहे के पाइप(जंगरोधक) जिसकी मोटाई 2 मी.मी. हो उन्हें अर्ध गोलाई में मोड़ कर अँग्रेजी के उलटे U की आकृति दे पाइप के एक सिरे से दूसरे सिरे की बीच की दूरी 50 से 60 से.मी.रखे और दोनों पाइप के मध्य की ऊचाई भी 50 से 60 से.मी. रखे इन पाइप से पाइप U se U के बीच की दूरी 1.5 से 2 मीटर के बीच रखे।फिर उन्हें क्यारियो में लगा दे।
शाम को 3 बजे बाद उस पर 25 से 30 माइक्रोन की पारदर्शी प्लास्टिक की सीट से इस तरह ढँके की क्यारियो के ऊपर एक गुफा या सुरंग type से बन जाये अब उस सीट के दोनों सिरों को मिटटी से डक दे जैसे प्लास्टिक मल्चिंग में ढकते है।अब यदि रात के समय में कम तापमान है 5 डिग्री से कम पाला पड़ने की स्थिति हो तो सीट को सुरंग से नही हटाना है। धीरे धीरे तापमान बढ़ता है।
उस हिसाब से शिट में 2 मीटर की दूरी पर छोटे छोटे छेद करे ।जैसे जैसे तापमान में बढ़ोतरी होती है वैसे वैसे छेद की संख्या ओर आकर बढ़ाते जाए। फरवरी लास्ट और मार्च फ़र्स्ट तक शिट पूरी तरह से हटा दे।इस तकनीक से पोधों को पाले से बचाया जा सकता है साथ ही सब्जियों को अगेती कर के बाजार में अच्छे भाव लिए जा सकते है।
और बेल वाली फसलो का अगेती कर सकते है । जिसमे लौकी,करेला,खरबूजा,खीरे को 30 से 40 दिन में तैयार कर सकते है।और ज्यादा से ज्यादा लाभ ले सकते है इस तकनीक से निरंतर अच्छे परिणाम मिल रहे है।सब्जियों की खेती करने वाले किसानों के लिए ये तकनीक काफी ज्यादा लाभदायक है। |
*प्लास्टिक मल्चिंग से किसानों को क्या क्या फ़ायदे है। *बिना मिटटी के खेती कैसे करे जाने तरीका। *वैज्ञानिक तरीके से कैसे करे बैंगन की खेती जाने तरीका। |
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Me kosis kruga ki best kr pau taki sabhi ko benifits ho sake