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Lehsun Ke Rog Aur Upchar लहसुन पर लगने वाले रोग और उनके उपचार
लहसुन के रोग |
जलवायु परिवर्त्तन होने से फसलो में कई प्रकार के रोग आने लगे हैँ। आज हम जिस फसल की बात करेंगे वो है लहसुन ।
लहसुन की फसल पर बहुत ज्यादा रोग आने की संभावना रहती हे। Lehsun ke rog aur upchar.
तो आईये देखते है की इस फसल पर कौन कौन से प्रमुख रोग आते है।
–प्रमुख रोग–
1 बैगनी धब्बा रोग (पर्पिल ब्लाच):-
इसमे पत्तियो और तने पर धब्बे बनते है। और जिससे पत्तिया और तना कमजोर हो क़र गिर जाते है। इसका प्रभाव फरवरी से दिखने लगता है।
2 झुलसा रोग :-
इसमे पत्तियो पर हलके नारंगी रंग के धब्बे बनते है ।
3 मुडिया जलगलन रोग:-
यह रोग बीज और भूमि गत रोग होता है।इसमे तनो पत्तियों पर गॉट बन जाती हे । और पौधे पिलेपन में आ जाता हे। और मौसम परिवर्तन से जड़ सड़न होने लगता हे। और पौधे खराब हो जाता हे।
इसके अलावा भी फसल पर कई प्रकार के किट भी लगते हे।
जैसे :-
4 थिप्स –
यह बहुत ही खतरनाक किट होता हे ये बहुत छोटे और पिले रंग के किट होते हे। ये पत्तियो में से रस चूसते हे जिससे वो चितकबरा दिखाई देने लगती हे। और पिली भूरी हो कर पत्तिया सुख जाती हे। और पैदावार में कमी कर देती हे।
कृषि विभाग की और से जो किसानों को सलाह दी जाती हे।
रोगों के रोकथाम के लिए विभाग की सलाह –
लहसुन में लगे रोगों को किस तरह से ठीक किया जा सकता है एवं लहसुन की फसल का बचाव कैसे किया जा सकता है, नीचे जानकारी दी गई है कि किस रोग में क्या करें :-
1 बैगनी धब्बा रोग- से बचाव के लिए ⇛
मेकोजेब 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी या करवेनेडिज्म 1 ग्राम प्रति लीटर पानी से कवनाशि दवा का छिड़काव 15 दिन के अंतराल में 2 बार करे
2 झुलसा रोग से बचाव के लिए ⇛
कापर ऑक्सीक्लोराइड 2.5 ग्राम प्रतिलीटर पानी +सैंडोवित 1 ग्राम प्रतिलीटर पानी की दर से कवनाशि दवा का छिड़काव 15 दिन के अंतराल पर दो बार करे ।
3 मुडिया लिपकर्ल रोग से बचाने के लिए ⇛
एसीफेट 75 प्रतिशत 500 ग्राम प्रति हैक्टर की दर से छिड़काव करे साथ में मेफर्स दवा का प्रयोग पौधे पर चिपकने के लिए करे ।
4 जड़ गलन रोग (फफूंद) रोग से बचाव के लिए ⇛
टाइडिमेकान 25 प्रतिशत डब्ल्यूपी 1 ग्राम प्रति लीटर या बेनोमिल 50 प्रतिशत 500 ग्राम प्रति हैक्टेयर या डायनोकेप 500 मिली प्रति हेक्टेयर का पानी में घोल बनाकर दवा का छिड़काव करें।
5 थिप्स रोग से बचाव के लिए⇛
इमिडाक्लोरोप्रीड 5 मिली/15 लीटर पानी थायेमेंथाक्ज़ाम 125 ग्राम / हे.+ सैंडोविट 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में गोल बना कर 15 दिन के अंतराल में छिड़काव करे ।
नोट:- आप जिस भी दवाई का छिड़काव करे पहले रोग की पहचान अवश्य करे और अपने ग्राम सेवक या दवाई विक्रेता से सलाह ले क़र ही करे । और थिप्स कीटनाशक की दवा छिड़कते समय टँकी में शेम्पु या डिटर्जेन्ट पावडर आवश्य मिलाये ताकि दवा पत्तियों पर चिपक क़र
असर करे
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